लखनऊ, 19 जून 2013। खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की
गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार द्वारा एक्शन टेकन
रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर
रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना उन्तिसवें दिन भी जारी रहा। आज क्रमिक
उपवास पर रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव बैठे।
रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि खालिद को न्याय के लिए चल
रहे इस धरने का कल तीसवां दिन है। इस बीच हमने सरकार से जो भी मांगे की
उस पर अखिलेश सरकार ने क्या किया? सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे। हमने
यूपी के मुस्लिम विधायकों और मंत्रियों से मुसलमानों से जुड़े मसलों को
लेकर सोलह सवाल पूछे थे, जिनका उत्तर देने की हिम्मत किसी मंत्री या
विधायक ने नहीं की। तो वहीं आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को एक्शन टेकन
रिपोर्ट के साथ सपा सरकार ने न रखकर दोषियों को बचाने की लगातार कोशिश कर
है। सपा सरकार ने सीबीआई जांच के नाम पर मुस्लिम समुदाय को छला है क्यों
कि इसके डीवोपीटी विभाग ने अब तक नोटिफिकेशन नहीं किया है। जिसके न होने
से सीबीआई इस मामले की जांच की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा सकती है।
लगातार प्रदेश की जांच एजेंसियों से खालिद की हत्या की जांच करवाकर
सुबूतों और तथ्यों को मिटाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि
ऐसे कई सवाल है जिनका सिर्फ सरकार अब तक जवाब नहीं दे पाई बल्कि तथ्यों
को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश भी की ऐसे में हम कल रिहाई मंच के
अनिश्चितकालीन धरने के तीसवें दिन मंच रिपोर्ट भी जारी करेगा।
धरने को संबोधित करते हुए मौलाना जहांगीर आलम कासमी ने कहा अन्याय के
खिलाफ न्याय के लिए जब विधानभवन के सामने तीस-तीस दिन तक धरना चलाने के
बावजूद कोई कार्यवाई नहीं होती तो इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता
है कि उत्तर प्रदेश के गांव-गिरांव में रहने वाले गरीब दलित, मुस्लिम,
आदिवासियों को यह सरकार किस तरह न्याय दे रही है। मौलाना जहांगीर आलम ने
कहा कि न्याय किसी भी समाज की पहली आकांक्षा होती है और उसको मुहैया
कराना व्यवस्था कि जिम्मेदारी है, पर जिस तरीके से सपा के शासन काल में
आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों को न्याय से वंचित किया जा रहा है तो ऐसे
में ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
धरने को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद
सुलेमान ने कहा कि उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून व्यवस्था अरुण कुमार ने
जिस तरीके से मालेगांव धमाकों के बाद सीबीआई में रहते हुए जो विवेचना की
और जिस तरीके से फर्जी तरीके से पकड़े गए बेगुनाह मुस्लिम युवकों को
जिन्हें एनआईए ने अपनी जांच में निर्दोष बताया और उसके बाद हिन्दुत्वादी
आतंकी संगठनों के नाम सामने आए, ऐसे में यह तफ्तीश का सवाल है कि आखिर
अरुण कुमार असली दोषियों तक पहंुचने में क्यों असफल रहे? क्या वो
हिन्दुत्वादी संगठनों को बचा रहे थे? सपा सरकार जो आतंकवाद के नाम पर कैद
बेगुनाहों को छोड़ने का वादा करके आई है उसके द्वारा अरुण कुमार जैसे
व्यक्ति जिन पर आतंकवाद के मुकदमों में बंद बेगुनाहों की विवेचना फर्जी
तरीके से करके हिन्दुतवादी संगठनों को बचाने का आरोप है, से साफ हो जाता
है कि सपा सरकार की मंशा क्या है।
धरने को संबोधित करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक
कार्यकर्ता संदीप पांडे ने कहा कि पुलिस वालों के खिलाफ कार्यवाई शुरु हो
क्योंकि खालिद और तारिक निर्दोष हैं। उनको अवैध हिरासत में रखा गया था।
अन्य मामलों में भी पुलिस के अलावा और कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। रिहाई
मंच के इस अनिश्चितकालीन धरने के दबाव में सरकार ने निमेष कमीशन पर अपना
मुंह खोला, ऐसे में इस अनिश्चितकालीन धरना जो न्याय के सवाल पर है को तब
तक चलाया जाएगा जब तक दोषी पुलिस अधिकारियों को सलाखों के पीछे नहीं
पहुंचा दिया जाता। निर्दोष लोगों को सजा और दोषी बचें यह प्रक्रिया इस
लोकतंत्र में अराजकता पैदा कर देगी। यूपी में जितनी भी फर्जी
गिरफ्तारियां हुई हैं, उनके लिए दोषी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करना
ही होगा इस सरकार को।
धरने को संबोधित करते हुए जमात ए इस्लामी के जिम्मेदार मौलाना खालिद ने
कहा कि न्याय के लिए इस संघर्ष का कल एक महीना होने जा रहा है। जब यह
सरकार बनी थी तो यह कह रही थी कि हमें वक्त दिया जाए हम बेगुनाहों को
रिहा करेंगे। पर साल भर बीतने के बाद जब लोकसभा के चुनाव करीब आने लगे तो
इसने बेमन से कोशिशें कीं और अब कह रही है कि हमने वादा पूरा कर दिया। आज
मुसलमानों को इस बात पर सोचना होगा कि चुनाव के समय ही आपके न्याय के
सवाल पर सरकारें मुंह खोलती हैं, ऐसे में आज यह साफ होता है कि राजनीति
सुरक्षा और जांच एजेंसियों को ही प्रभावित नहीं करती बल्कि न्यायिक
प्रक्रिया को भी प्रभावित कर रही है।
धरने को संबोधित करते हुए युवा पीढ़ी के संपादक योगेन्द्र सिंह यादव ने
कहा कि विधानसभा पर धरना दे रहे इटावा की दलित महिलाओं की दर्दनाक कहानी
है कि दो अप्रैल को सपा के गुंडों ने उनके साथ बलात्कार करने की कोशिश की
जिसका विरोध करने पर कुमारी यशोदा के पिता को गोली मार दी गई। पिता को
गोली मारने पर मुकदमा उसके बेटे मनोज ने दर्ज करवाया था। मुकदमा वापस न
लेने पर मनोज की हत्या सपा के गुंडों के इशारे पर पुलिस ने कर दी और शव
को बीच सड़क पर फेंक दिया। मनोज की पत्नी पूजा, बहन यशोदा अपने परिवार की
आठ महिलाओं व एक दर्जन पुरुषों के साथ धरना स्थल पर बैठे हैं। यूपी में
दलितों व मुस्लिमों की पुलिस द्वारा हत्या हो रही है और सरकार चुप है।
कचहरी ब्लास्ट के आरोप में बंद आजमगढ़ के तारिक कासमी के चचा हाफिज फैयाज
और आजमगढ़ के ही हबीब फलाही जो अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद हैं के
भाई अबू आमिर और सीतापुर के इशहाक जिनके भाई और बहनोई को आतंवाद के आरोप
में पकड़ा गया है वो भी धरने में शामिल रहे।
धरने का संचालन आजमगढ़ रिहाई मंच के नेता तारिक शफीक ने किया। धरने में
एमए हसीब, एसएस खान, इंडियन नेशनल लीग के प्रदेश अध्यक्ष मो0 समी,
सोशलिस्ट फ्रंट के मो0 आफाक, बदायूं से वेलफेयर पार्टी आॅफ इंडिया के
अब्दुल फहीम खान, प्रलेस की किरन सिंह, भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोइद
अहमद, वकारुल हसनैन, प्रतापगढ़ पीस पार्टी के शम्स तबरेज खान, रिजवान
अहमद, शुऐब, आजमगढ़ से अबु आमिर, नागरिक अधिकार संगठन से रफीक अली, रमेश
चंद्र पांडे, शिब्ली बेग, भवरनाथ पासवान, पीसी कुरील, शिवनारायण कुशवाहा,
एहसानुल हक मलिक, डा0 अली अहमद, इकराम खान, संजीव पांडे, मो0 शादाब, मो0
नसीम, दिनेश सिंह, आमिर खान, मो0 आरिफ, मो0 इसराइल, सिद्धनाथ निषाद आदि
शामिल रहे।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752